Lockdown – आत्ममंथन 10
हम अब धीरे-धीरे इसी तरह जीने के अभ्यस्त होने लगे हैं चेहरे पर मास्क, सेनेटाइजर और हर किसी से एक निश्चित दूरी। शायद जिंदगी और वक्त हमें बहुत कुछ सिखा देते हैं, जिसका हमने कभी सोचा नहीं होता। हमारे अंदर की शक्ति जाग्रत हो जाती है और जिंदगी के साथ खूबसूरत तालमेल बिठा लेती है।
इस लॉकडाउन और महामारी ने हमें बहुत कुछ सीखा दिया है, बहुत सारी मुश्किलें भी दी हैं। आर्थिक, भावनात्मक और सामाजिक रूप से बहुत गहरा असर हुआ है। अभी कुछ दिन पहले दिल को झिंझोड़ने वाली खबर आई कि सुशांत सिंह राजपूत, जो एक उम्दा फिल्म कलाकार थे, ने आत्महत्या कर ली। मन में कितने प्रश्न, कितने प्रकार के विचार आने लगे। कितने ही कारण रहे हों, लेकिन इस तरह अपने जीवन को समाप्त कर लेना, सही नहीं है। सच में बहुत दुखदाई है। शायद हम भावनात्मक रूप से सबसे ज्यादा विचलित होते हैं और टूटते हैं। और कभी-कभी अत्यंत अस्थिरता के चलते हम अपने आप पर नियंत्रण नहीं रख पाते। आर्थिक स्थितियां भी हमें परेशान करती हैं, लेकिन फिर भी कहीं न कहीं हम संभल जाते हैं, परंतु भावनात्मक रूप से जब कोई चोट गहरी लगती है तो इसके परिणाम कभी-कभी बहुत दुखद होते हैं। कुछ लमहें ऐसे आते हैं जब आप पूर्णतया अपने आप पर काबू नहीं रख पाते। उन चंद लमहों में हमें अगर कोई अपना समझा सके और उन स्थितियों से उबार सके तो हम संभल पाते हैं, नहीं तो आत्महत्या के रूप में परिणाम सामने आता है।
इन सबका एक बड़ा कारण एक-दूसरे से संवाद का न होना भी है। हम जब सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट डालते हैं। इंस्टाग्राम या फेसबुक पर तब हम व्यक्त करते हैं कि हम क्या कर रहे हैं, कहां घूम रहे हैं परंतु हमारा किसी के साथ संवाद नहीं होता। हम लाइक्स को ही अपनापन समझ लेते हैं। और फेसबुक पर बने दोस्तों को दोस्त समझ लेते हैं और खुश होते हैं कि हमारे हजारों दोस्त हैं। परंतु हकीकत में एक से भी हमारा संवाद नहीं हो पाता। वास्तव में ये सब आभासी दुनिया के मित्र हैं। कितने लोगों को मैंने देखा है कि उनके हजारों मित्र हैं और हजारों लाइक्स हैं पर जब वे किसी समस्या से जूझते हैं उस समय कोई भी उनके पास उनके साथ उनकी परेशानियों को सुनने के लिए नहीं होता। यही वह लमहें होते हैं जब वे अपने आप को अकेला पाते हैं, भरपूर धन-दौलत अच्छा करिअर होने के बावजूद।
मनोविज्ञान भी कहता है कि हम किसी से बातचीत करके ही अपने आप को तनाव से हल्का महसूस करते हैं। सबसे बड़ी समस्या है कि हम आपसी संवाद को भूल ही गये हैं और आगे निकलने की होड़ में इस चक्रव्यूह में इतना उलझ गये हैं कि निकल नहीं पा रहे। हमें सोशल मीडिया का भी प्रयोग करना चाहिए लेकिन एक सीमा तक। क्योंकि यह क्रिएटिविटी को समाप्त कर रहा है। हम किताबें पढ़ने से कितनी दूर हो गये हैं। आपस में बातचीत भी नहीं करना चाहते, बस मैसेज करके ही हम सभी काम करना चाहते हैं। चाहे जन्मदिन की शुभकामनाएं ही क्यों न हो। कितना मीठा रस घोलती है वह दोस्त की आवाज जब सुबह-सुबह आपको कोई विश करता है।
हमने अपने माता-पिता को कभी नहीं सुना कि वे डिप्रेशन में हैं। सब लोग कितनी हंसी-खुशी से एक-दूसरे के साथ मिलते थे। स्पेस की कोई समस्या ही नहीं थी। अब हम एक-दूसरे से स्पेस चाहते हैं और यह स्पेस ही एक खाई बन जाता है। सब अपने-अपने खोल में सिमट जाते हैं।
कितनी ही वजह रही होंगी आत्महत्या की। लेकिन उन नितांत अकेले पलों में अगर किसी का भी साथ होता तो शायद यह सब न होता, जो यह समझा पाता कि कुछ भी हो आपकी जिंदगी सारी समस्याओं से बहुत बड़ी है। आप हैं तो इनसे निजात मिल जायेगी।
इस महामारी ने सचमुच हमें अपने आपको समझने, अपने लिये सोचने का बहुत बड़ा अवसर दिया है। और हम सब इससे बहुत कुछ सीखेंगे।
आत्मसंवाद… भावनात्मकता
Neeru
According to you, conversation with friends, best way to solve the problems. Very true. Jaan h to Jahan h.
Neena
Thanks a lot Neeru for your comments and good suggestions
शहला जावेद
बहुत सही कहा आज आदमी से आदमी ज़्यादा कनेक्ट होने के बावजूद दूर हो गया ख़ूब लिखा
Neena
Lot of thanks shehla for your beautiful comment and your valuable suggestions
Dilpreet Kaur
Very nice.. rightly said emotional stability is more important in this mordern era as well as in this pandemic situation
Rashmi Kharbanda
इन दिनों बहुत कुछ मन में चल रहा है सब कुछ आपने शब्दों में ढाल दिया है ।वाकई इंसान कितना अकेला हो गया है आभासी दुनिया का प्रवेश ऐसा है कि जो एक बार भीतर चला जाए तो चाह कर भी बाहर नही निकल सकता और वास्तविकता से दूर हो जाता है ।इन सबका नतीजा कितना भयानक होता है यह सब जानते है ।आपने बहुत अच्छी तरह से आज के समय की परिस्थितियों की नब्ज पकड़ी है ।वाकई समय बहुत नाजुक है
Reena
खूबसूरत अभिव्यक्ति
लगता है दिल की बातें कागज पर उतर आई है।
Alka
So well written. Definitely each person is becoming lonely in spite of being surrounded by so many people all the time. Actually we just need a few good friends with whom we can talk whenever we want.