पिछला साल बस बीत गया, कोरोना को देखते और महसूस करते हुए। एक बार तो यह लगने लगा था कि अब हम इस महामारी से उबर चुके हैं। ज़िंदगी पहले की तरह खिल-खिलाने लगी थी। घूमना, काव्य समारोह और सभी प्रकार की …
Lockdown – आत्ममंथन 14
Lockdown – आत्ममंथन 14 प्रत्येक नासमझी और गलती का एक सिरा हमेशा आरंभ में छोटा होता है और कोई भी गलती बड़ी तभी बनती है जब उसे छोटी से ही संभाल न लिया जाये। चीजों के साथ या घटनाओं के साथ गलती बहुत …
Lockdown – आत्ममंथन 13
Lockdown – आत्ममंथन 13 आजकल जिंदगी कितनी अजीब ढंग से चल रही है। परिस्थितियां बदल गई हैं। हमारा सोचने का, घूमने का, शॉपिंग करने का तरीका बदल गया है। कभी-कभी तो हम इन परिस्थितियों से तालमेल बिठा पा रहे …
Lockdown – आत्ममंथन 12
Lockdown – आत्ममंथन 12 हमारा सकारात्मक होना क्यों जरूरी है। हम कई बार इस शब्द को बस मात्र सुनते हैं लेकिन गहरे तक इतना ज्यादा नहीं सोच पाते। ये शब्द मात्र शब्द नहीं एक अपूर्व भंडार है। हमारी सोच का …
Lockdown – आत्ममंथन 11
Lockdown – आत्ममंथन 11 कभी-कभी मुश्किल चीजों में बहुत आसान उत्तर छिपे होते हैं जो हमारे लिये महत्वपूर्ण और जरूरी भी होते हैं। इसी तरह शायद यह महामारी भी है। कितनी परेशानियां इसके कारण हम सब झेल रहे …
Lockdown … My Diary II
Lockdown II - My Diary Now some days have passed of lockdown and pandemic has changed the lives of people . However many people are doing some positive things to be healthy . But the impact of the …