एक गहरा अहसास… ज़िंदगी में जो कुछ भी घटित हो रहा है उस प्रकार की मुसीबतों से हम एक ही हथियार से लड़ सकते हैं वह है—सकारात्मक सोच। किसी भी प्रकार की परिस्थितियां हों, हमारी सोच इससे बाहर निकाल लेती है। ज्यादा बड़ा डर… जितनी बड़ी कठिनाई होती है, हमें हल भी उसी तरह से सोचना पड़ता है। हमारी कोशिश, सोच बहुत बड़ी होनी चाहिए, नहीं तो मुश्किलें और हल करने में बहुत बड़ी खाई बन जाती है। सकारात्मक सोच एक पुल का काम करती है।
और एक गहरी बात का अनुभव हुआ कि जीवन में कितनी कम वस्तुओं की आवश्यकता होती है, कितने कम साधनों से हम अपने जीवन को सुचारु रूप से चला सकते हैं। हमें कहां जरूरत होती है महंगे ब्रांडेड कपड़ों की, महंगे फोन की, बहुत बड़ी कारों की साधारण माध्यमों से भी हम अपना कार्य बेहतर ढंग से कर सकते हैं। जीवन की मूलभूत चीजों को जमा करना तो एक आवश्यकता है परंतु बहुत ज्यादा धन इकट्ठा करना, बहुत बड़े आलीशान घर… शायद ये एक झूठा मायाजाल हैं।
प्रकृति ने हमें अपने आप से मिलने का अपने आप को परखने का एक बहुत सुंदर मौका दिया है। चाहे वह एक महामारी के रूप में ही हमारे समक्ष आया है। सीमित साधनों और कम पैसों में जिंदगी कितनी खुशहाल लगती है, ये पहली बार बहुत गहराई से जाना। हम किस मोहजाल में उलझे होते हैं और इसमें इतने जकड़ जाते हैं, आगे जाने की होड़ में हम अपने आप को खो देते हैं, झूठी शान में भीड़ में खो चले हैं।
कितना अधिक तेज, हम सब भागन लगे थे। किसी के पास किसी के लिए भी फुर्सत नहीं। और अब सब कुछ थम गया है। हमें इन लमहात में सोचना चाहिए कि हम इतना तेज क्यों भाग रहे हैं? आखिर हम कहां जा रहे थे।
मैंने इन दिनों ज़िंदगी के अमूल्य पल कुदरत के साथ साझा किये हैं। सच में, मैंने महसूस किया है, प्रकृति के पास बहुत कुछ है हमें देने के लिए। हमें ग्रहण करना आना चाहिए। गमलों में बीच बीजना, कोपलों का अंकुरित और फिर सुंदर फूल खिलना, इस तनाव भरे समय में भी एक सुंदर-सी खुशबूभरी आशा मन में लहरा जाती है।
इस महामारी ने मनुष्यों को कैसे धनविहीन कर दिया है। गरीब और भी गरीब हो गये हैं, हम थोड़े से समर्थ हैं तो हमें अपने आसपास के लोगों की सहायता करनी चाहिए। थोड़ी-बहुत सहायता करके भी किसी के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं।
इधर-उधर घूमते भूखे कुत्तों को जब भी खाना देती हूं, वे जिस संतुष्टि और तृप्ति से देखते हैं, एक अजीब-सा संवाद बिना कहे-सुने मन समझ जाता है। हमें बहुत धन की आवश्यकता नहीं होती, किसी की भी सहायता के लिए मात्र संवेदना चाहिए होती है। कभी पक्षियों को कुछ दाने खाने को देना, यकीन मानिये बहुत ही अच्छा महसूस होता है। हम इस कठिन समय को छोटी-छोटी कोशिशों से सहायता करके अपने आपको तनाव से दूर रख सकते हैं।
एक सुखद प्रयास… एक सुखद सोच….।
Very true
बेहतरीन,सारगर्भित, आत्मसात करने योग्य रचना
बधाई स्वीकारें
Yeah absolutely true.This time has taught us the value and importance of mother earth and nature.if it z disturbed we have to face the wrath and fury of nature..
हमारे माता पिता परिवार, पौधे, पशुपक्षी सबके साथ समय व्यतीत करते थे इसलिए सब सहज थे….. सुकून सरलता में ही मिल सकता है….. सुंदर विचार
You are absolutely right Neena ji. We need so little to lead a happy life. It’s my firm believe that the thought process for majority of people is going to change.