Lockdown – आत्ममंथन 8
इस तरह घर के अंदर रहते हुए हमें दो महीने से ज्यादा हो गये हैं। कभी-कभी तो विश्वास नहीं होता कि हम सभी सुख-सुविधाओं से दूर घर की दहलीज तक सीमित हो गये हैं।
एक डर… एक अविश्वास, मन के किसी कोने में घेरा डाले रहता है। बहुत कुछ मन की दुनिया के अंदर घटित हो रहा है, लेकिन इन सारी उलझनों, डर और अविश्वास के उपरांत भी मन कुछ न कुछ सकारात्मक सोचता रहता है और इस तरह सोचने से मन शांत रहता है, सुकून मिलता है। क्योंकि हम अपनी सोच को ही सकारात्मक कर सकते हैं। हमारे आसपास जब चारों तरफ से सब कुछ अव्यवस्थित हो रहा है और हमारे नियंत्रण में कुछ न हो तब हमें उस समय उपलब्ध साधनों से ही अपने आप के साथ सामंजस्य बिठाना चाहिए ताकि हम तनाव से बच सकें। क्योंकि ज़िंदगी बहुत मूल्यवान है और इन सभी लमहों को हमें भरपूर जीना चाहिए। यह नकारात्मक समय भी बीत जायेगा, हमारे मन पर बहुत-सी अच्छी यादों के साथ। क्योंकि समय का सैलाब अपने साथ बहुत कुछ लेकर चला जाता है और अपने पीछे बहुत कुछ सुंदर सीपियों के रूप में छोड़ भी जाता है।
अक्सर अपने काम को समाप्त करके मुझे जब भी लगता है कि कैसे इस नकारात्मक समय और विपरीत परिस्थितियों से तालमेल बिठाएं और सुरक्षित भी रहें। तब ऐसे समय में मैं अपनी कार में बैठकर और ड्राइव करके संगीत का भरपूर आनंद लेकर अपने आप को बहुत सुकून में पाती हूं। संगीत सुनना हमेशा से सुकूनभरा रहा है, लेकिन अब ये मन को और भी अच्छा लगने लगा है। कुछ लमहें आप कार में बैठकर संगीत को सुनिये और बाहर प्रकृति का आनंद लीजिए। आजकल अमलतास के फूल बहुत सुंदर खिले हुए हैं। बहुत सुंदर पीले फूल मन को आनंद से और विश्वास से भर देते हैं।
प्रकृति और संगीत के साथ खुशगवार लमहें, यकीनन खूबसूरत संवाद मन में असर कर जाता है। एक जीने का नया आयाम लेकर। संगीत हमें वर्तमान के तनाव और उदास पलों से दूर एक अलग दुनिया में ले जाता है। जहां हम सुकून महसूस करते हैं, जीने में विश्वास आता है।
कुछ चीजों पर हमारा नियंत्रण नहीं होता जैसे कि यह वायरस है। असंभव नहीं, पर अभी इसका कोई हल नहीं है। बस, हम अपने आप को सुरक्षित रख सकते हैं क्योंकि हम जीना तो नहीं छोड़ सकते। हर समय डर और मौत के साये में जी नहीं सकते। हमें अपने आपको इससे बाहर लाना है, संयमित और शांत रहकर।
जब भी बहुत बड़ी मुश्किल आती है कुदरत भी हमें उतनी ही अच्छी तरह से उससे लड़ना सिखा देती है। मैंने यह महसूस किया है कि कितनी ही कम चीजों के साथ हम जीवन को अच्छी तरह से बिता रहे हैं, कितने प्रकार के काम कर रहे हैं, कितना पढ़-लिख रहे हैं। घर से सभी सदस्य कितने अनुभवों को आपस में बांट रहे हैं। कितने ही नये प्रकार के हम व्यंजन बना रहे हैं। क्या आम दिनों में यह संभव था! अब कितने आत्मनिर्भर हो गये हैं हम। कितने समीकरण बदल गये हैं, घर और बाहर दोनों जगह के।
पहले के दिन और आज के वक्त में हम भेद कर पा रहे हैं कि हम क्या हासिल कर पाये हैं। क्या हमने खो दिया है। अगर महामारी न आती तो हम इस तरह के अनुभवों से अनभिज्ञ रहते। कुदरत की हर प्रक्रिया के पीछे एक सबक होता है। एक शिक्षा, एक संदेश छुपा होता है जो हमारे कल्याण के लिए होता है। इसी विश्वास और हौसले के साथ आओ! हम सब यह समय अच्छी तरह से सकारात्मकता से जीएं।
विश्वास… हौसला… संयम…!
धीरजा शर्मा
जी बिल्कुल सही कहा।कुदरत ने बहुत बड़ी सीख दी है हमे।
Neena Deep
Thanks a lot Dheeraja for Reading and beautiful compliment
शहला जावेद
बहुत सार्थक लिखा है समस्याओं के साथ कैसे जीना है ये समझाया ।
बहुत ख़ूब
Neena Deep
Thanks a lot shehla for reading and viewing in detail
It means a lot
Usha Pandey
बेहद सकारात्मक लेख
Neena
Thanks a lot Usha for reading and your compliment
Neeru
Very positive thought
Neena
Thanks a lot Neeru for reading
अरुणा डोगरा शर्मा
अपनी लेखनी के माध्यम से लॉक डाउन के दौरान जीवन के यथार्थ को उद्घाटित किया है ।इसे पढ़कर एहसास हुआ है , कैसे सकारात्मक भावनाओं को शब्दों में पिरोया जा सकता है। आप हमेशा ही ऐसे लिखती रहें मेरी शुभकामनाएं एवं बधाई
अरुणा डोगरा शर्मा।
Neena
Thanks a lot Aruna for reading in details and giving me beautiful compliment really it will give to boost my upcoming writing
अलका
बहुत सुंदर लेख लिखा आपने । आप एक अच्छी सोच की मालकिन हैं । प्रकृति हमें बहुत कुछ सिखा रही है । आरम्भ आपने अमलतास से किया । बहुत सुंदर । गरमियों की शान अमलतास !
Neena
Thanks a lot Alka jee for your positive compliment yes nature is good teacher
Your compliment gives boost to my writing it means a lot for me
Rashmi Kharbanda
सच समय कभी एक सा नही रहता ।
अपने भीतर की उम्मीद इंसान को जिन्दा रखती है
कुछ शौक और कुछ आप जैसे दोस्त जिन्दगी में फिर से रंग भर देते है